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💖 राजा विक्रम और रानी मीरा की प्रेम कहानी 👑



💖 राजा विक्रम और रानी मीरा की प्रेम कहानी 👑
१. एक था राजा विक्रम, जिसका राज्य न्याय और समृद्धि के लिए जाना जाता था। २. उसके हृदय में प्रजा के लिए अगाध प्रेम था, पर उसका स्वयं का जीवन सूना था। ३. पास के एक छोटे से राज्य की राजकुमारी थी मीरा, जो अपनी सादगी के लिए प्रसिद्ध थी। ४. मीरा की आँखें हिरण जैसी चंचल और मन एक खुली किताब जैसा था। ५. एक बार राजा विक्रम भेष बदलकर अपने राज्य का हाल जानने निकले। ६. चलते-चलते वे राजकुमारी मीरा के राज्य के एक गाँव में पहुँचे। ७. उन्होंने मीरा को एक टूटी हुई कुटिया के पास, बच्चों को पढ़ाते हुए देखा। ८. उसके चेहरे पर एक अलौकिक, ममतामय मुस्कान थी जिसने राजा का मन मोह लिया। ९. राजकुमारी अपने राजसी वस्त्रों के बजाय साधारण सूती साड़ी में थी। १०. राजा विक्रम उसके निःस्वार्थ सेवा भाव से अत्यंत प्रभावित हुए। ११. उन्होंने अपना परिचय छुपाए रखा और एक साधारण यात्री बनकर उनसे बात की। १२. मीरा ने उन्हें आदरपूर्वक बिठाया और जलपान कराया। १३. उनकी बातचीत घंटों चली, जिसमें राज्य और प्रजा के कल्याण पर चर्चा हुई। १४. राजा को लगा कि मीरा सिर्फ सुंदर नहीं, बल्कि बुद्धिमान और संवेदनशील भी हैं। १५. मीरा भी उस अजनबी की समझदारी और विनम्रता से प्रभावित हुई। १६. जाने से पहले, राजा विक्रम ने उन्हें धन्यवाद दिया और कहा कि वह जल्द लौटेंगे। १७. वापस महल पहुँचकर, राजा का मन अब राजकाज में कम लगता था। १८. उनके विचार बार-बार मीरा की सादगी और मुस्कान पर जा ठहरते थे। १९. उन्होंने तुरंत अपने दूतों को राजकुमारी मीरा के पिता के पास विवाह का प्रस्ताव लेकर भेजा। २०. मीरा के पिता, राजा विक्रम के यश से परिचित थे और प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। २१. जब मीरा को पता चला कि वह साधारण यात्री वास्तव में राजा विक्रम थे, तो वह हैरान रह गई। २२. पर उसके मन में भी राजा के लिए सम्मान और आकर्षण की भावना थी। २३. कुछ ही दिनों में, पूरे धूमधाम से राजा विक्रम और राजकुमारी मीरा का विवाह हुआ। २४. मीरा ने रानी बनकर महल में प्रवेश किया, पर उसकी सादगी नहीं छूटी। २५. उसने राजसी ठाट-बाट से ज़्यादा, प्रजा के बीच रहना पसंद किया। २६. राजा विक्रम और रानी मीरा एक-दूसरे के पूरक बन गए। २७. विक्रम न्याय करते, और मीरा करुणा से उस न्याय को सींचती। २८. उनकी प्रेम कहानी सिर्फ दो दिलों का मेल नहीं, बल्कि दो महान आत्माओं का संगम थी। २९. रानी मीरा ने महल में एक पाठशाला और एक चिकित्सालय खुलवाया। ३०. राजा विक्रम रानी के हर नेक काम में उनका साथ देते थे। ३१. एक बार पड़ोसी राज्य ने उनके राज्य पर आक्रमण करने की योजना बनाई। ३२. राजा विक्रम युद्ध की तैयारी में व्यस्त हो गए। ३३. रानी मीरा ने अपनी बुद्धिमत्ता से शत्रु राज्य के राजा को शांति वार्ता के लिए आमंत्रित किया। ३४. उन्होंने समझाया कि युद्ध में केवल विनाश है, शांति में ही समृद्धि। ३५. रानी की बातों से प्रभावित होकर शत्रु राजा ने आक्रमण का विचार त्याग दिया। ३६. राजा विक्रम रानी की दूरदर्शिता और साहस के कायल हो गए। ३७. युद्ध टलने से प्रजा ने रानी को साक्षात देवी का रूप माना। ३८. उनका प्रेम अब सिर्फ पति-पत्नी का नहीं, बल्कि सहयोगी शासकों का भी था। ३९. वे साथ मिलकर राज्य को और ऊंचाइयों पर ले गए। ४०. उनकी सुबह एक साथ, सूर्योदय देखते हुए होती थी। ४१. वे शाम को बाग़ में साथ बैठकर, प्रजा के सुख-दुःख पर विचार करते थे। ४२. राजा अक्सर रानी के हाथ से बनी साधारण रसोई का स्वाद चखते। ४३. रानी भी राजा के मुकुट को छोड़कर उनके व्यक्तित्व से प्रेम करती थी। ४४. समय बीतता गया, पर उनके रिश्ते की डोर और मज़बूत होती गई। ४५. उन्होंने कभी अपने अहंकार को अपने प्रेम के बीच नहीं आने दिया। ४६. उनका महल प्रेम, विश्वास और सम्मान की नींव पर खड़ा था। ४७. विक्रम और मीरा, अब प्रेम और आदर्श शासन का पर्याय बन चुके थे। ४८. उनकी संतानें भी उनके मूल्यों और शिक्षा को लेकर बड़ी हुईं। ४९. उनकी कहानी पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रही। ५०. राजा विक्रम और रानी मीरा का प्रेम अमर हो गया, एक सुंदर मिसाल बन कर।